थर्ड जनरेशन कंप्यूटर (Third Generation of Computer In Hindi)

कंप्यूटर की पिछली पीढ़ियों में कमी होने के कारण और लगातार हो रहे टेक्नोलॉजिकल विकास के कारण कंप्यूटर के तीसरी पाढ़ी का विकास हुवा | 

आज के इस आर्टिकल में हम तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर (Third Generation of Computer) के बारे में बात करने वाले है | 

आज हम विस्तार से जानेंगे कि तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर क्या है? (Third Generation of Computer In Hindi) उनके क्या विशेषताएं थी (Features of Third Generation Computer In Hindi) और उनके क्या फायदे व क्या नुकसान थे?

तो आइये बिना समय गवाए सबसे पहले जानते है तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर के बारे में |

तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर (Third Generation of Computer In Hindi)

तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर (Third Generation of Computer In Hindi)

1965 से 1971 के बिच के कंप्यूटर तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर (Third Generation of Computer) कहलाते हैं |

तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर में प्रीप्रोसेसर के रूप में Integrated Circuit (जिसे शॉर्ट में IC भी कहा जाता है) का उपयोग किया गया था | 

Integrated Circuit का अविष्कार  “Jack Killby” ने  किया था | ट्रांजिस्टर की जगह इंटीग्रेटेड सर्किट का उपयोग करने से थर्ड जनरेशन के कंप्यूटर आकर में छोटे, कुशल और अधिक विश्वसनीय हो गए थे | 

Integrated Circuit आकार में छोटे थे, कम बिजली की खपत करते थे और ट्रांजिस्टर (जो की कंप्यूटर की पिछली पीढ़ी में उपयोग किए जाते थे ) की तुलना में कम खर्चीले थे | 

 Integrated Circuit

IC (integrated circuit ) को LSI (Large Scale Integration) भी कहा जाता हैं | एक सिंगल integrated circuit में सिलिकॉन की एक चिप पर कई ट्रांजिस्टर, रजिस्टर और कैपेसिटर होते हैं। यह संबंधित सुरक्षा प्रदान करता हैं।

तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों का विकास उस समय से माना जाता है जब कम्प्यूटरों में  ट्रांजिस्टर की जगह Integrated circuits (IC) का उपयोग होना शुरू हुवा था |

Integrated circuits का उपयोग करने वाले कंप्यूटरों का विकास 1960 के दशक में ही शुरू हो चुका था, लेकिन वे उस समय ज्यादा उपयोग में नहीं थे। 

मगर 1965 से 1971 तक, लगभग सभी कंप्यूटरों में IC का उपयोग किया गया था। इसलिए कम्प्यूटरों की तीसरी पीढ़ी का काल 1965 से 1971 तक माना जाता है। 

Integrated circuits के प्रयोग के कारण कम्प्यूटर का आकार दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटरों से भी अधिक छोटा हो गया था। इससे कंप्यूटर को अधिक पोर्टेबल बनाने में मदद मिली।

तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर में बेहतर इनपुट-आउटपुट डिवाइस थे। पंच कार्ड और प्रिंटआउट के स्थान पर कीबोर्ड और मॉनिटर का उपयोग शुरू किया गया था, जिससे इनपुट और आउटपुट संचालन की गति को बढ़ाने में मदद मिली। 

इस पीढ़ी में रिमोट प्रोसेसिंग, टाइम-शेयरिंग और मल्टीप्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया गया, जिसने अंततः उपयोगकर्ताओं को एक साथ कई एप्लिकेशन चलाने की अनुमति प्रदान की।

तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों में सॉफ्टवेयर विकास के लिए COBOL, FORTRAN-2 से 5, BASIC, PASCAL PL/1, ALGOL-68, आदि जैसी हाई लेवल लैंगुएजेस का उपयोग किया गया, जिसके परिणामस्वरूप थर्ड जनरेशन के कम्प्यूटर्स पिछली पीढ़ी के कंप्यूटर की तुलना में अधिक विश्वसनीय थे |  

स्टोरेज टेक्नोलॉजी में विकास के परिणामस्वरूप बड़ी क्षमता वाले मैग्नेटिक डिस्क और टेप और बड़े चुंबकीय कोर आधारित रैंडम एक्सेस मेमोरी का निर्माण हुआ।

सॉफ्टवेयर के मोर्चे पर, High level languages में सुधार किया गया और फोरट्रान IV और ऑप्टिमाइज़िंग फोरट्रान कंपाइलर विकसित किए गए।

तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर का उदाहरण (Examples of Third Generation of Computer)

थर्ड जनरेशन में कई सारे कंप्यूटर डेवलप्ड हुवे उनमे से कुछ पॉपुलर कंप्यूटर निम्नलिखित है -:

  • IBM-360 series
  • Honeywell-6000 series
  • PDP(Personal Data Processor) 
  • IBM-370/168
  • TDC-316
  • CDC 6600
  • ICL2900

तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर की विशेषताएं (Features of Third Generation of Computer)

तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर की निम्नलिखित विशेषताएं है -:

1) Use of integrated circuits

तीसरी पीढ़ी के कम्प्यूटरों में ट्रांजिस्टरों की जगह integrated circuits का उपयोग किया गया, जिसने कम्पूटरो के आकार, लागत और बिजली की खपत को काफी हद तक कम कर दिया है।

2) Input/ Output media

तीसरी पीढ़ी के कम्प्यूटरों में पंच कार्ड और प्रिंटआउट के स्थान पर कीबोर्ड और मॉनिटर का उपयोग शुरू हुवा | 

3) Use of magnetic disk

सेकेंडरी स्टोरेज के रूप में magnetic disk और internal memory  के रूप में magnetic core का उपयोग किया गया ।

4) Use of operating system

इस पीढ़ी के कम्प्यूटरों में रिमोट प्रोसेसिंग, टाइम-शेयरिंग और मल्टीप्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया गया, जिससे अंततः यूजर एक साथ कई एप्लिकेशन में सक्षम हुए | 

5) Evolution of easy high-level language

नए high-level languages जैसे BASIC, COBOL, PASCAL आदि का विकास किया गया जिससे एक कंप्यूटर के लिए लिखे गए प्रोग्राम को आसानी से दूसरे कंप्यूटर में पोर्ट और execute किया जा सका।

6) Speed

इन कंप्यूटरों की प्रोसेसिंग स्पीड पिछली पीढ़ी के कम्प्यूटरों की तुलना में कैफ ज्यादा थी | 

7) Cost

तीसरी पीढ़ी के कम्प्यूटरों की लागत दूसरी पीढ़ी की तुलना में कम थी, मगर आज के कम्प्यूटरो की तुलना में अभी भी काफी ज्यादा महंगे थे।

8) Reliability

इस पीढ़ी के कंप्यूटर दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों की तुलना में अधिक विश्वसनीय थे क्योकि इनमे हार्डवेयर विफलता की संभावना कम थी। इनके रखरखाव की लागत भी कम थी।

9) Rise of mini computers

तीसरी पीढ़ी के मिनी कंप्यूटर ने छोटी कंपनियों के लिए भी कंप्यूटर को किफायती बना दिया।

10) Power consumption

ये कम electricity की खपत करते थे और heat भी कम उत्पन्न करते थे।

तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर के फायदे (Advantages of Third Generation of Computer)

तीसरी पीढ़ी के कम्प्यूटर्स की निम्नलिखित फायदे थे -:

  • इन कंप्यूटरों की डेटा स्टोरेज क्षमता पिछले कम्प्यूटरों की तुलना में काफी अच्छी थी।
  • तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर नैनोसेकंड में डेटा की गणना कर सकते थे।
  • पिछली पीढ़ी की तुलना में इन कंप्यूटरों की रखरखाव लागत बहुत कम थी।
  • तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों का उपयोग general purpose के लिए किया जाता था।
  • दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटरों से अधिक छोटे थे इसलिए तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर पिछली पीढ़ी के कम्पूटरो की तुलना में अधिक पोर्टेबल थे।
  • तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों में रिमोट प्रोसेसिंग, टाइम-शेयरिंग और मल्टीप्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया गया था | 
  • इस पीढ़ी के कम्प्यूटर पिछली पीढ़ी के कंप्यूटर की तुलना में अधिक विश्वसनीय थे |  
  • ये पिछली पीढ़ी के कंप्यूटर की तुलना में साइज में छोटे थे, सस्ते थे और कम बिजली की खपत करते थे | 
  • इस पीढ़ी के कंप्यूटरों की प्रोसेसिंग स्पीड पिछली पीढ़ी के कम्प्यूटरों की तुलना में काफी ज्यादा थी | 
  • इनकी भण्डारण क्षमता ज्यादा थी | इनमे मैग्नेटिक डिस्क का उपयोग सेकेंडरी स्टोरेज के रूप में किया गया था | 
  • पिछली पीढ़ी की तुलना में कम हीट उत्पन्न करते थे | 
  • COBOL, FORTRAN-II to IV, BASIC, PASCAL PL/1, ALGOL-68,  आदि का उपयोग हाई लेवल लैंग्वेज के रूप में किया गया था | 

तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर के नुकसान (Disadvantages of Third Generation of Computer )

तीसरी पीढ़ी के कम्प्यूटरों के निम्नलिखित नुकसान थे -:

  • तीसरी पीढ़ी के कम्प्यूटरों में इंटीग्रेटेड सर्किट के उपयोग के कारण इसे मेंटेन करना मुश्किल था।
  • integrated circuit चिप्स के निर्माण के लिए उच्च तकनीक की आवश्यकता होती थी।
  • तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों को ठंडा रखने के लिए एयर कंडीशनिंग सिस्टम की आवश्यकता  थी।
  • तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर पिछली पीढ़ी की तुलना में कुछ सस्ते थे लेकिन फिर भी व्यक्तिगत जरूरतों के हिसाब से काफी महंगे थे।
  • इन कंप्यूटरों को संचालित करना थोड़ा मुश्किल था | 
  • इन कंप्यूटरों का उपयोग कैसे करना है, यह सीखने के लिए औपचारिक प्रशिक्षण की आवश्यकता होती थी | 
  • इनकी स्पीड आज के कम्प्यूटर्स की तुलना में काफी कम था | 

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Conclusion 

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमनें तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर के बारे में बात की और जाना कि तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर क्या है? (Third Generation of Computer In Hindi) उनकी क्या विशेषताएं थी (Features of Third Generation of Computer In Hindi) और उनके क्या फायदे व क्या नुकसान थे? (Advantages and Disadvantages of Third Generation of Computer In Hindi)

दोस्तों आशा करता हु कि आज के इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपको थर्ड जनरेशन कंप्यूटर (Third Generation of Computer In Hindi) से संबंधित सभी जानकारी मिल गई होगी |

अगर आप कंप्यूटर फंडामेंटल के Complete Notes चाहते है तो मेरे इस आर्टिकल Computer Fundamental Notes In Hindi को देखे | यहाँ आपको कंप्यूटर फंडामेंटल्स के सभी टॉपिक्स step by step मिल जाएगी |

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One Comment

  1. Viccy DHANGAR says:

    Thanks for helping me 😊😊😊❤️

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