सेकंड जनरेशन कंप्यूटर (Second Generation of Computer In Hindi)

सन 1947 में transistor का विकास हुवा और 1955 से vacuum tubes की जगह transistors का उपयोग कंप्यूटर में प्रोसेसर के रूप में किया जाने लगा, तभी से सेकंड जनरेशन कंप्यूटर का आरम्भ माना जाता है | 

हेलो फ्रेंड्स, आज के इस आर्टिकल में हम दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर (Second Generation of Computer In Hindi) के बारे में बात करने वाले है | 

आज हम विस्तार से जानेंगे कि दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर क्या है?(Second Generation of Computer In Hindi) उनके क्या विशेषताएं थी (Features of Second Generation Computer In Hindi) और उनके क्या फायदे व क्या नुकसान थे?

तो आइये बिना समय गवाए सबसे पहले जाते है सेकंड जनरेशन कंप्यूटर के बारे में |

दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर (Second Generation of Computer In Hindi)

दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर (Second Generation of Computer In Hindi)

1959 से 1965 के बिच के कंप्यूटर Second generation computer कहलाते हैं | Second generation computers में प्रोसेसर के रूप में वैक्यूम ट्यूब की जगह transistors का उपयोग किया गया था | 

ट्रांजिस्टर, एक सेमीकंडक्टर डिवाइस होता हैं जिसका उपयोग current को regulate करने या इनपुट सिग्नल को अधिक आउटपुट सिग्नल में बढ़ाने के लिए किया जाता है।

ट्रांजिस्टर का आविष्कार 1947 में बेल लैब्स में किया गया था। यह वैक्यूम ट्यूब से काफी बेहतर था।

Transistor

ट्रांजिस्टर के उपयोग के कारण दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर की तुलना में थोड़ा छोटे हो गए थे, मगर अभी भी आज के कंप्यूटर की तुलना में काफी बड़े थे | यह वैक्यूम ट्यूब पर एक बड़ा सुधार था। 

दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर में मशीन लैंग्वेज की जगह Assembly languages का उपयोग किया गया था,  COBOL और FORTRAN जैसी हाई लेवल लैंग्वेज का विकास भी दूसरी पीढ़ी के समय ही में हुआ था।

इस पीढ़ी के कंप्यूटर अभी भी इनपुट के लिए पंच कार्ड और आउटपुट के लिए प्रिंटआउट पर निर्भर थे तथा स्टोरेज के रूप में मैगनेटिक कोर (Magnetic Core) का उपयोग किया जाता था | 

Magnetic Core का उपयोग प्राइमरी मेमोरी के रूप में किया जाता था और मैग्नेटिक टेप और मैग्नेटिक डिस्क का उपयोग सेकेंडरी मेमोरी डिवाइस के रूप में किया जाता था। 

इन कम्प्यूटरो में ऑपरेटिंग सिस्टम के रूप में बैच प्रोसेसिंग और मल्टीप्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग किया जाता था | 

दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर पहली पीढ़ी के कंप्यूटरों की तुलना में सस्ते थे, कम बिजली की खपत करते थे, और काफी तेज थे।

नए प्रकार के करियर जैसे प्रोग्रामर, analysts, कंप्यूटर सिस्टम विशेषज्ञ और सॉफ्टवेयर उद्योग दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर से शुरू हुआ।

History of Second generation of computer 

TX-0 पहला कंप्यूटर था जिसमें ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल किया गया था। इसे 1956 में जारी किया गया था। RCA 501 एक और उदाहरण है जिसमें ट्रांजिस्टर का उपयोग किया जाता है।

इसके अलावा, Philco Corporation का Transac S-2000 ट्रांजिस्टर पर आधारित पहली कंप्यूटिंग मशीनों में से एक था, जिसे 1958 में पेश किया गया था। 

इसके बाद जल्द ही IBM द्वारा IBM 7090 को जारी किया गया था जो पूरी तरह से ट्रांजिस्टर पर आधारित था, जो की उस समय का सबसे शक्तिशाली data processing system था। 

इन दूसरी पीढ़ी की मशीनों का उपयोग विभिन्न प्रकार के व्यवसाय और वैज्ञानिक कार्यो के लिए किया गया था और उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग और असेंबली भाषाओं जैसे फोरट्रान (फॉर्मूला ट्रांसलेटर) और कोबोल (कॉमन बिजनेस ओरिएंटेड लैंग्वेज) का इस्तेमाल किया गया था। 

दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों के कुछ अन्य उदाहरणों में UNIVAC 1108, CDC 1604, Honeywell 400, CDC 3600 और अधिक शामिल हैं। 

दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर की विशेषताएं (Features of Second Generation of Computer In Hindi)

दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर की निम्नलिखित विशेषताएं है -:

  • Use of transistor-: सर्किट में वैक्यूम ट्यूब के स्थान पर ट्रांजिस्टर का उपयोग किया जाता था।
  • Punch card as input/output unit-: इनपुट आउटपुट ऑपरेशन के लिए पंच कार्ड का उपयोग किया जाता था।
  • Magnetic Tape and disk as secondary storage-: मैग्नेटिक टेप और मैग्नेटिक डिस्क का उपयोग secondary storage डिवाइस के रूप में किया  जाता था  | 
  • Size-: इन कंप्यूटरों का आकार पहली पीढ़ी के कंप्यूटरों से छोटा होता है क्योंकि  वैक्यूम ट्यूब की जगह ट्रांजिस्टर का उपयोग किया जाता था जो कि वैक्यूम की तुलना  से काफी काम जगह लेता है।
  • Programming in high-level language-: कंप्यूटर में हाई लेवल लैंग्वेज जैसे FORTON, COBOL, BASIC आदि का प्रयोग कंप्यूटर भाषा के रूप में किया जाता था
  • Reliability-: ये कंप्यूटर अधिक विश्वसनीय थे क्योंकि ट्रांजिस्टर की लाइफ वैक्यूम ट्यूबों की तुलना में काफी अधिक था।
  • Power consumption-: ट्रांजिस्टर कम बिजली की खपत करता है, और गर्मी भी कम उत्पन्न करता है।
  • Cost -: पहली पीढ़ी के कंप्यूटर की तुलना में सस्ते थे | 
  • Speed -: इनकी processing speed पहली पीढ़ी के कंप्यूटर की तुलना में बहुत तेज थी। 
  • Size -: 2nd generation computers आकार में पीढ़ी के कंप्यूटर की तुलना में बहुत थोड़े छोटे थे क्योकि इनमे अब ट्रांजिस्टर का उपयोग किया जाता था | 
  • दूसरी पीढ़ी को ठंडा रखने के लिए Ac की आवश्यकता थी |

दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर का उदाहरण (Examples of Second generation of computer)

दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर निम्न है -:

  • IBM 1620 series
  • IBM 700 series
  • IBM 7094 I
  • IBM 7094 II
  • PDP1
  • PDP3
  • PDP5
  • PDP8
  • ALTAS
  • LEO
  • PDP (Programmed Data Processor).

दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर के फायदे (Advantages of Second Generation of Computer In Hindi)

दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटर्स की निम्नलिखित फायदे थे -:

  • वैक्यूम ट्यूब की जगह ट्रांजिस्टर के उपयोग के कारण दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर तुलनात्मक रूप से छोटे और पोर्टेबल थे।
  • ये माइक्रोसेकंड में डेटा की गणना कर सकते थे।
  • दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटर्स पहली पीढ़ी के कंप्यूटरों की तुलना में कम ऊर्जा उपयोग करते थे जिससे काफी कम मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न होती थी | 
  • दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर पहली पीढ़ी के कंप्यूटरों की तुलना में सस्ते थे।
  • इनकी साइज पहली पीढ़ी के कंप्यूटरों की तुलना में छोटा था।
  • पहली पीढ़ी के कंप्यूटरों की तुलना में हार्डवेयर की विफलता की समस्या कुछ हद तक कम हो गई थी।
  • दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर ढ़ी के कंप्यूटरों की तुलना में तेज थे। 
  • ये कंप्यूटर अधिक विश्वसनीय थे क्योंकि इनमे ट्रांजिस्टर का उपयोग होता था जिसकी लाइफ वैक्यूम ट्यूबों की तुलना में काफी अधिक थी।

दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर के नुकसान (Disadvantages of Second Generation of Computer In Hindi)

दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटरों के निम्नलिखित नुकसान थे -:

  • इन कंप्यूटरों के लिए एक cooling system की आवश्यकता थी।
  • इन्हे निरंतर रखरखाव की आवश्यकता होती थी।
  • दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों का उपयोग केवल एक specific purpose के लिए किया जाता है।
  • ये आज के कम्पूटरो की तुलना में काफी ज्यादा महंगे थे | 
  • इनमे इनपुट के लिए पंच कार्ड का उपयोग किया जाता था | 
  • इसमें कोई ऑपरेटिंग सिस्टम नहीं था और असेंबली लैंग्वेज का इस्तेमाल किया गया था

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Conclusion

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमनें दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर के बारे में बात की और जाना कि दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर क्या है? (Second Generation of Computer In Hindi) उनकी क्या विशेषताएं थी (Features of Second Generation of Computer In Hindi) और उनके क्या फायदे व क्या नुकसान थे? (Advantages and Disadvantages of Second Generation of Computer In Hindi)

अगर आप कंप्यूटर फंडामेंटल के Complete Notes चाहते है तो मेरे इस आर्टिकल Computer Fundamental Notes In Hindi को देखे | यहाँ आपको कंप्यूटर फंडामेंटल्स के सभी टॉपिक्स step by step मिल जाएगी |

दोस्तों आशा करता हु कि आज के इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपको सेकण्ड जनरेशन कंप्यूटर (Second Generation of Computer In Hindi) से संबंधित सभी जानकारी मिल गई होगी |

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