माइक्रोफोन क्या है? – What is Microphone In Hindi
Microphone Kya Hai -: माइक्रोफोन एक ऐसा इनपुट डिवाइस है जिसका उपयोग ऑडियो को कंप्यूटर में इनपुट करने के लिए किया जाता है। यह ध्वनि तरंगों को विद्युत सिग्नल में परिवर्तित करके ऑडियो कैप्चर करता है, जो एक Digital या Analog signal होता है। इस प्रक्रिया को कंप्यूटर या अन्य डिजिटल ऑडियो उपकरणों द्वारा किया जा सकता है।
माइक्रोफोन को 1877 में एमिल बर्लिनर द्वारा विकसित किया गया था और पहला इलेक्ट्रॉनिक माइक्रोफोन एक liquid mechanism पर आधारित था, जिसमें एक डायफ्राम का उपयोग किया गया था।
तो दोस्तों यह थी माइक्रोफोन की एक बेसिक सी जानकारी, यदि आप इसके बारे में Detail में जानना चाहते है तो आप इस आर्टिकल को आगे पढ़ते रहे क्योकि आज के इस आर्टिकल में हम विस्तार से जानेंगे कि Microphone Kya Hai? माइक्रोफोन कितने प्रकार के होते है?और माइक्रोफोन कैसे कार्य करता है? (How Microphone Work In Hindi)
तो आइये अब बिना समय गवाए जानते है कि माइक्रोफोन क्या है? (What is Microphone In Hindi)
माइक्रोफोन क्या है? (What is Microphone In Hindi)
माइक्रोफोन एक input device है, जो की ध्वनि की तरंगों को इलेक्ट्रिक सिग्नल में परिवर्तित कर देता है. फिर यह इलेक्ट्रिक सिग्नल किसी मोबाइल या अन्य डिवाइस के जरिए एनालॉग या डिजिटल सिग्नल में बदलता है और कंप्यूटर में store होता है जिसके बाद में किसी भी साउंड डिवाइस जो की एक आउटपुट डिवाइस होता है उसकी मदद से उस रिकॉर्ड की हुई आवाज को सुना जाता है।
अधिकतर लोग माइक्रोफोन को माइक (Mic) भी कहते है. इसे उपयोग करने के लिए सबसे पहले माइक को कंप्यूटर के साथ sound card के जरिये जोड़ा जाता है. Sound card नहीं होने पर आजकल USB से भी माइक्रोफोन कनेक्ट हो जाते है।
इसका उपयोग अनेक स्थानो में जैसे भाषण, गानों की रिकॉर्डिंग, वाद्य यंत्र की ध्वनि को कैप्चर करने, लाइव परफॉर्मेंस, आदि में होता है।
माइक्रोफोन के प्रकार (Types of Microphone In Hindi)
माइक्रोफोन अनेक प्रकार के है जो कि निम्नलिखित है -:
1) Dynamic Microphone
Dynamic Microphone को moving coil microphone भी कहते है. डायनामिक माइक्रोफोन सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला माइक है। इस माइक्रोफोन में एक wire coil, परमानेंट चुम्बक और एक डायाफ्राम लगा होता है. यह डायाफ्राम एक पतली शीट जैसी होती है. जो की एक अचुम्बकीय पदार्थ है. यह coil के साथ जुड़ा रहता है।
जब माइक्रोफोन में लगे डायाफ्राम से धवनि की तरंगे टकराती है तो इसमें कंपन (vibration) उत्पन्न होता है जिसके साथ coil में भी कंपन होता है. यहाँ Coil के कंपन से इसमें विद्युत प्रवाहित होने लगता है और धवनि तरंगो को इलेक्ट्रिकल सिंगनल में परिवर्तित कर देता है।
इसके बाद ये इलेक्ट्रिकल सिगनल wire के जरिए डिवाइस तक ट्रांसमिट होता है फिर यह डिवाइस इन सिगनल को स्टोर करके रखता है या किसी output device में भेजता है।
यह माइक्रोफोन बिना किसी बाहरी इलेक्ट्रिकल ऊर्जा के कार्य करने में सक्षम होता है। डायनामिक माइक्रोफोन का इस्तेमाल अधिकतर लाइव परफॉरमेंस या भाषण देते वक़्त होता है.
यह माइक्रोफोन अन्य दूसरे प्रकार के माइक्रोफोन की तुलना में काफी सस्ता और टिकाऊ भी होता है। डायनामिक माइक्रोफोन आसानी से किसी तेज़ ध्वनि यानी high volume को हैंडल कर सकता है. इसका सबसे बेहतरीन उदाहरण wired earphone और wired headset है।
2) Condenser Microphone
सभी कंडेंसर माइक्रोफ़ोन में दो प्लेट समांतर लगे होते है जिनमें एक front plate और दूसरा back plate होता है. जिसे डायाफ्राम कहा जाता है।
यह बहुत ही संवेदनशील माइक होता है इसलिए इसमें background आवाज़ भी रिकॉर्ड हो जाता है. यह माइक्रोफोन बहुत तेज़ी से इनपुट सिगनल पड़कता है जिसके कारण इस माइक्रोफोन के बेहतर उपयोग के लिए किसी शांत स्थान की जरुरत पड़ती है ताकि रिकॉर्डिंग सही से हो सके।
इस प्रकार के माइक्रोफोन का इस्तेमाल साउंड रिकॉर्डिंग के लिए किया जाता है. जो स्टूडियो में लगा होता है गायक इसका उपयोग गानो की रिकॉर्डिंग के लिए करते है. यह डायनामिक माइक्रोफोन की तुलना में थोड़ी महँगी होती है।
3) Ribbon Microphone
इसका उपयोग गिटार, पियानो, हॉर्न, इत्यादि में होता है. यह एक उच्च गुणवत्ता वाला माइक्रोफोन होता है. इसे ribbon velocity माइक्रोफोन भी कहते है. यह माइक bidirectional है मतलब की इसमें दोनो तरफ से ध्वनि रिकॉर्ड हो सकती है।
इस माइक्रोफोन में एल्यूमीनियम, Duraluminium और Nanofilm की ribbon का उपयोग होता है. जिसके द्वारा माइक कार्य करता है।
अन्य माइक्रोफोन के विपरीत इसमें Coil की जगह एल्यूमीनियम की पतली ribbon लगी होती है इसी ribbon के कारण इस माइक का नाम ribbon माइक्रोफोन रखा गया।
इस ribbon से चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है. जब कोई ध्वनि की तरंगे ribbon से टकराती है तो इससे vibration होता है जो अनुपातिक वोल्टेज बनाता है. जिसके बाद वोल्टेज को इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल में भेजा जाता है।
एक समय था जब इस माइक्रोफोन में आउटपुट वोल्टेज को बढ़ाने के लिए ट्रांसफार्मर का उपयोग हुआ करता था लेकिन आजकल इसकी जगह माइक्रोफोन में मैग्नेटिक बॉल का इस्तेमाल होता है।
4) Cardioid Microphone
Cardioid Microphone मे आगे की तरफ और अगल-बगल की आवाजें रिकॉर्ड होती है लेकिन पीछे की ओर से आने वाली ध्वनि माइक मे सही से रिकॉर्ड नहीं होती है।
इस माइक्रोफोन का नाम Cardioid रखने के पीछे कारण यह है कि इसमें दिल के आकार जैसा पैटर्न बनता है जो सिर्फ एक दिशा में ही ध्वनि रिकॉर्ड करता है. इसलिए भाषण कार्यक्रमों में इस प्रकार के माइक्रोफोन का अधिकतर इस्तेमाल होता है।
5) Bidirectional Microphone
इस प्रकार का माइक सिर्फ आगे और पीछे की दिशा से ध्वनि को कैप्चर करता है. इसके अलावा माइक अपने दोनों तरफ की ध्वनि सही से कैप्चर नहीं कर पाता है. इस माइक्रोफोन को figure 8 माइक्रोफोन के नाम से भी जाना जाता है जो 8 अंक की तरह एक पैटर्न में ध्वनि को रिकॉर्ड करता है।
6) Omnidirectional Microphone
इसका हिंदी में मतलब सदिशत्मक माइक्रोफोन होता है. यह माइक्रोफोन सभी दिशाओं से आने वाली ध्वनि को कैप्चर करने में सक्षम है. ध्वनि चाहे किसी भी दिशा से आए यह माइक उसे रिकॉर्ड कर लेता है।
7) Close Talk Microphone
इस माइक का उपयोग करने के लिए आपको अपने मुंह के समीप शर्ट मे कॉलर मे लगाना होता है जिससे माइक से आपकी आवाज़ साफ़ – साफ़ सुनाई दे सके।
Close Talk Microphone का इस्तेमाल फ़ोन, Headset और Voice recognition (ध्वनि पहचान) सॉफ्टवेयर में होता है. इसके साथ ही इस माइक में Hum – bucking coil फीचर्स होता है जो अपनी आस पास की अनावश्यक आवाज़ों को कम करके बेहतरीन quality की साउंड प्रदान करता है।
8) Clip-on Microphone
इस प्रकार के माइक्रोफोन को अनेक नामों से जाना जाता है जैसे lapel mic, body mic, collar mic, personal mic, आदि।
यह एक छोटा hand-free वायरलेस माइक है जो अधिकतर टेलीविजन, थिएटर, पब्लिक स्पीकिंग सेमिनार, इत्यादि में उपयोग होता है. इस माइक का इस्तेमाल करते दौरान आपको अपने हाथो से माइक को पकड़ने की आवश्यकता नहीं होती है. इसे आप अपने शर्ट के कॉलर मे लगा सकते है।
माइक्रोफोन का आविष्कार किसने किया? (How Invented Microphone)
माइक्रोफोन का आविष्कार Emile Berliner ने Thomas Edison के साथ मिलकर सन् 1876 में इसका आविष्कार किया था.
माइक्रोफोन कैसे कार्य करता है? (How Microphone Work In Hindi)
माइक्रोफोन के उपयोग से पहले हमे इसे अपने कंप्यूटर के साथ कनेक्ट करना होता है. इसके लिए कंप्यूटर में sound card और driver install होना चाहिए. यदि कंप्यूटर में sound card नहीं है तो इसकी जगह आप USB supported माइक्रोफोन का भी इस्तेमाल कर सकते है।
कंप्यूटर से माइक्रोफोन कनेक्ट होने के बाद हम इसमें अपनी आवाज रिकॉर्ड करना शुरू करते हैं. जब माइक में कुछ बोला जाता हैं तो ध्वनि की तरंगे उत्पन्न होती है. जो माइक्रोफोन के अंदर मौजूद एक diaphragm से टकराती है जिससे vibration उत्पन्न होता है और coil भी साथ में vibrate होने लगता है. इस coil के सामने एक चुंबक से चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण होता है।
जब coil इस चुंबकीय क्षेत्र से होकर गुजरता है तो coil में विद्युत ऊर्जा प्रवाहित होती है. इस coil के साथ एक एम्प्लीफायर भी जुड़ा होता है जो coil से आने वाली इलेक्ट्रिक ऊर्जा को एंपलीफायर कर देता है. इसके बाद एंपलीफायर के द्वारा ध्वनि को कंप्यूटर, लाउडस्पीकर या होम थियेटर में भेजता है और हम ध्वनि सुन पाते है।
कंप्यूटर माइक्रोफोन के कितने प्रकार है? (Types of Computer Microphone)
मुख्य रूप से दो प्रकार के कंप्यूटर माइक्रोफोन होते है पहला Internal Microphone और दूसरा External Microphone
1) Internal Microphone
कंप्यूटर में internal माइक्रोफोन देखना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि यह माइक्रोफोन कंप्यूटर मॉनिटर के bezel में कही छोटे छेद के रूप में रहता है. कंप्यूटर या लैपटॉप में जहां यह माइक होता है उसके सामने “Mic” शब्द या फिर माइक एक icon रहता है।
2) External Microphone
External Microphone को आप बाजार से खरीदकर अलग से कंप्यूटर के साथ कनेक्ट कर सकते है. यदि आपके कंप्यूटर या लैपटॉप में USB पोर्ट या sound card नहीं दिया हुआ है तो external माइक्रोफोन उपयोग नहीं कर सकते।
Sound card वह स्थान होता है जहां external speaker को कनेक्ट किया जाता है यह कंप्यूटर के पीछे स्थित होता है।
माइक्रोफोन के विभिन्न पार्ट्स कौन कौन से है?
माइक्रोफोन के अंदर मौजूद कुछ जरूरी पार्ट्स निम्न है –
1) Diaphragm
यह हमारे कान के पर्दे जैसा होता है. ध्वनि की तरंगे माइक्रोफोन के अंदर स्थित diaphragm से टकराने पर vibration उत्पन्न होता है. इसके बाद माइक्रोफोन के जरिए यह वाइब्रेशन इलेक्ट्रिक सिग्नल में बदलता है. ध्वनि की शानदार quality प्राप्त करने के लिए यह डायाफ्राम माइक मे सबसे महत्वपूर्ण पार्ट है।
2) Magnetic Case
यह माइक्रोफोन में लगे coil के लिए एक चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण करता है. जिससे coil में वाइब्रेशन उत्पन्न होता है और यह vibration इलेक्ट्रिक सिग्नल में परिवर्तित हो जाता है।
3) Coil
यह diaphragm के साथ जुड़ा रहता है. जब ध्वनि तरंगों से डायाफ्राम में कंपन होता है तो साथ में coil भी vibrate होने लगता है फिर coil चुम्बक के बीच आगे पीछे चलता है जिससे coil चार्ज होकर चुंबकीय सिग्नल को विद्युत ऊर्जा में बदलता है।
4) Output
यह माइक्रोफोन का वह स्थान है जहां से केबल को माइक में प्लग किया जाता है. माइक्रोफोन के लिए XLR एक default टाइप का केबल होता है।
माइक्रोफोन को कंप्यूटर में कहाँ प्लग किया जाता है?
माइक्रोफोन कंप्यूटर के पीछे साउंड बॉक्स के सामने के पोर्ट में कनेक्ट होता है कुछ कंप्यूटर में यह पोर्ट आगे तरफ दिया होता है. यदि आपके पास लैपटॉप है. तो यह पोर्ट सामने या किनारे मे स्थित होता है। आजकल Advance Microphone आ गए है जिसमें USB से भी माइक कनेक्ट हो जाता है।
माइक्रोफोन को इनपुट डिवाइस क्यों कहते है?
ऐसा इसलिए क्योंकि माइक्रोफोन सारी जानकारी को कंप्यूटर में भेजता है जिस वजह से इसे एक इनपुट डिवाइस कहा जाता है।
जब आप माइक्रोफोन में आवाज रिकॉर्ड करते है तो आवाज़ कंप्यूटर में जाती है और कंप्यूटर इसे हार्ड ड्राइव में स्टोर रखता है. इसके बाद आप इस ऑडियो फाइल को edit या share भी कर सकते है।
Voice Recognition तकनीक में माइक्रोफोन अनिवार्य होता है जिसमें कंप्यूटर को निर्देश देकर विशिष्ट कार्य करने के लिए आपकी वॉइस का इस्तेमाल होता है. Google Assistant, Siri और Cortana इस तकनीक का सबसे अच्छा उदाहरण है।
माइक्रोफोन के फायदे और नुकसान (Advantages and Disadvantages of Microphone In Hindi)
माइक्रोफोन के कई फायदे और नुकसान है जिसकी जानकारी अनिवार्य है ताकि माइक उपयोग करते समय आपको कोई परेशानी न हो सके।
माइक्रोफोन के फायदे (Advantage of Microphone in Hindi)
- इसका इस्तेमाल कई स्थानों में जैसे नाटक, गानों की रिकॉर्डिंग, इत्यादि में किया जाता है।
- माइक्रोफोन में रिकॉर्ड की गई ध्वनि बहुत स्पष्ट होती है।
- किसी भी बड़े सभा या कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करने के लिए माइक्रोफोन बहुत उपयोगी साबित होता है।
माइक्रोफोन के नुकसान (Disadvantage of Microphone In Hindi)
- इसमें store होने वाली ऑडियो फाइल्स कंप्यूटर का बहुत मेमोरी उपयोग करती है।
- अधिकतर माइक्रोफोन की कीमत अधिक होती है।
- एंपलीफायर माइक्रोफोन और लाउडस्पीकर हर कोई उपयोग नहीं कर सकता इसके उपयोग करने के लिए किसी जानकार व्यक्ति का होना आवश्यक है।
Read More
- माउस क्या है? – What is Mouse In Hindi
- स्कैनर क्या है? – What is Scanner In Hindi
- ट्रैकबॉल क्या है? – What is Trackball In Hindi
- लाइट पेन क्या है? – What is Light Pen In Hindi
- टच स्क्रीन क्या है? – What is Touch Screen In Hindi
- जॉयस्टिक क्या है? – What is Joystick In Hindi
- MICR क्या है? – What is MICR In Hindi
- OCR क्या है? – What is OCR In Hindi
- बारकोड रीडर क्या है? – What is Barcode Reader In Hindi
Conclusion
दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमनें Microphone के बारे में बात की और जाना कि माइक्रोफोन क्या है? (What is Microphone In Hindi) यह कितने प्रकार का होता है? (Types of Microphone In Hindi) और Microphone कैसे कार्य करता है?
अगर आपको ये पोस्ट पसंद आया है तो इस पोस्ट को अपने अपने दोस्तों को शेयर करना न भूलिएगा ताकि उनको भी Microphone Kya Hai के बारे में जानकारी प्राप्त हो सके .
अगर आपको अभी भी What is Microphone In Hindi से संबंधित कोई भी प्रश्न या Doubt है तो आप कमेंट्स के जरिए हमसे पुछ सकते है। मैं आपके सभी सवालों का जवाब दूँगा और ज्यादा जानकारी के लिए आप हमसे संपर्क कर सकते है |
अगर आप कंप्यूटर फंडामेंटल के Complete Notes चाहते है तो मेरे इस आर्टिकल Computer Fundamental Notes In Hindi को देखे | यहाँ आपको कंप्यूटर फंडामेंटल्स के सभी टॉपिक्स step by step मिल जाएगी |
ऐसे ही टेक्नोलॉजी, Computer Science से रिलेटेड जानकारियाँ पाने के लिए हमारे इस वेबसाइट को सब्सक्राइब कर दीजिए | जिससे हमारी आने वाली नई पोस्ट की सूचनाएं जल्दी प्राप्त होगी |
Very small