IPv4 क्या है? – What is IPv4 In Hindi (सम्पूर्ण जानकारी)

वर्तमान समय में IP Address के दो वर्जन है, पहला IPv4 और दूसरा IPv6 । आज के इस आर्टिकल में हम IPv4 के बारे में बात करने वाले है।

आज हम विस्तार से जानेंगे कि IPv4 Kya Hai?  IPv4 के क्या लाभ व क्या नुकसान है? (Advantages and Disadvantages of IPv4 In Hindi) और IPv4 ख़त्म क्यों हो सकता है?

तो आइये अब बिना समय गवाए सबसे पहले ये जान लेते है कि IPv4 क्या है? (What is IPv4 In Hindi)

IPv4 क्या है? - What is IPv4 In Hindi

IPv4 क्या है? – What is IPv4 In Hindi

Definition -: IPv4 पूरा नाम “Internet Protocol Version 4” है जो IP address का चौथा version  है। इसका उपयोग इंटरनेट से जुड़े सभी डिवाइस को एक unique IP address प्रदान करने के लिए किया जाता है जिससे की सभी devices की पहचान आसानी से हो सके।

यह Address 32 Bits का होता है जिसे 8 bits के 4 blocks में divide किया जाता है। इस IP version द्दारा 4 billion से भी अधिक unique IP addresses प्रदान की जा सकती है।

IPv4 में IP Address generate करने की एक सीमा होती है जिसको देखते हुए IPv6 का निर्माण किया गया जिसमे वर्तमान वर्शन की तुलना में कई गुना IP Addresses प्रदान करने की क्षमता होती है।

IPv4 का उदाहरण – 150.69.7.68  

IPv4 के फायदे – Advantages of IPv4 In Hindi

  • जब सार्वजनिक माध्यम में नेटवर्क के बीच communication होता है तो डाटा की प्राइवेसी ensure करने के लिए encrypted data अनिवार्य है। IPv4 अपने address packets में डाटा की सुरक्षा के लिए encryption का इस्तेमाल करता है। इसके अलावा  इसमें आपकी सुरक्षा और privacy का काफी ख़्याल रखा जाता है।  
  • चूंकि सभी Address को सही से combined किया जाता है, इसीलिए IPv4 में रूटिंग की प्रोसेस ज़्यादा afficient होती है और यही वजह है की जो organization नियमित रूप से multicast का इस्तेमाल करते है उनका डाटा कम्युनिकेशन अधिक विशेष होता है।   
  • IPv4 प्रोटोकॉल के अंदर मौजूद IPv4 routing सभी सिस्टम को आसानी से संभाल सकते है जिस कारण IPv4 protocol को अधिकतर system द्वारा भी support किया जाता है।  
  • IPv4 का पहला काम पूरे नेटवर्क में different types के डिवाइस को कनेक्ट करना होता है। इस कनेक्शन साथ साथ हर डिवाइस की पहचान को verify किया जाता है। 
  • IPv4 addresses को याद रखना आसान रहता है क्योकि ये इनका numeric address छोटा होता है। 
  • नया हो या पुराना IPv4 सभी तरह के नेटवर्क equipments को support करता है।  
  • IPv4 अपने address packet में डेटा को encrypt करने के लिए security को measure करता है, इसलिए IPv4 में privacy और सुरक्षा काफी मजबूत होता है।

IPv4 के नुकसान – Disadvantages of IPv4 In Hindi

  • IPv4 को manually या automatically दोनों रूपों से configuration करने की जरुरत होती है। इसे Dynamic Host Configuration Protocol (DHCP) द्वारा manually configuration किया जाता है। DHCP का Configurations थोड़ा कठिन होता है, इसलिए इसके infrastructure को manage करने के लिए प्रबंधन की आवश्यकता पड़ती है। 
  • IPv4 बहुत साल पहले विकसित किया गया था, जिस कारण ये आजकल के इंटरेनट खतरों से secure करने में उतना सक्षम नहीं होता। इसीलिए इसमें Internet Protocol Security (IPSec) के उपयोग से (IPv4) नेटवर्क की सुरक्षा बढ़ता है। 
  • IPv4 में अलग-अलग address prefixes को assign किया जाता है, ताकि उनमें से हर एक नया router बन सके। इसके साथ ही, आजकल इंटरनेट में flat और hierarchical routers मौजूद है। हालाँकि, Internet Backbone router में 85,000 से भी ज़्यादा routes है। 
  • IPv4 का उपयोग करते समय Public address की कमी एक बड़ी समस्या है। कुछ सालो बाद IPv4 की जितनी क्षमता है उतने सभी IP address का इस्तेमाल हो जाएगा, जिसके बाद अन्य डिवाइस को इंटरनेट से कनेक्ट करना संभव नहीं होगा।  

IPv4 Header में क्या होता है? (IPv4 Header In Hindi)

जो IP (Internet Protocol) है, वो network layer 3 में कार्य करता है। नेटवर्क लेयर कई नेटवर्क में packets की डिलीवरी से संबंधित है। नेटवर्क लेयर को OSI मॉडल का backbone माना जाता है। जो nodes के बीच डाटा ट्रांसफर के लिए सबसे बेहतर रास्ते का चुनाव करता है। 

यह नीचे सभी fields की जानकारी detail में बताई गई है :- 

1) Version Number : इस पहले field से यह पता चलता है की इंटरनेट प्रोटोकॉल का version क्या है। अगर field में  IPv4 है, इसका मतलब चौथा version है और IPv6 यानी ये 6th version है। 

2) Header Length : यह फील्ड IP header की length दर्शाता है। जैसे IPv4 header में length 32 bit (with option) होता है। कोई option निर्धारित न होने पर फील्ड की value 5 सेट हो जाती है। Field की minimum value 5 और अधिकतम 15 रहता है। 

3) Types of Service : ToS को Differentiated Services Code Point (DSCP) भी कहते है। इस फील्ड का उपयोग service quality से सम्बंधित फीचर्स प्रदान करने के लिए किया जाता है।  जैसे – data streaming या Voice over IP (VoIP) calls, आदि कुछ उदाहरण है। ToS का इस्तेमाल यह specific करने के लिए होता है की datagram को कैसे संभाला जाएगा। 

4) Total Length : इस फील्ड का size 16 bit होता है जिसका उपयोग सम्पूर्ण datagram के साइज को दर्शाने में किया जाता है। IP डाटाग्राम का minimum size 20 bytes और अधिकतम 65,535 bytes तक हो सकता है। 

5) Identification : किसी पैकेट में identification या ID field विशिष्ट रूप से IP डाटाग्राम के segment को uniquely पहचान करता है। 

6) Flags : इस फील्ड में 3 होता है जिसका इस्तेमाल fragment को identify और control करने के लिए किया जाता है। 

7) Fragment Offset : इस फील्ड से यह चलता है की राऊटर किसी segment को fragment कर सकता है या नहीं। इस फील्ड की length 13 बिट होती है। यह 3 bit का होता है, जिसमें पहला bit reserved होता है और अगर इस फील्ड में दूसरा bit सेट होता है, तो ये fragment नहीं कर सकता लेकिन अगर फील्ड में तीसरा बिट सेट हो जाता है, इसका मतलब यह segment को fragment कर सकता है। 

8) Time to live : इस फील्ड की साइज 8 बिट होती है जो यही indicate करता है की डाटाग्राम इंटरनेट सिस्टम में अधिकतम कितने समय तक live रहेगा। यह समय seconds में होता है अगर time to live का value शून्य है तो datagram को erase कर दिया जाता है।  इसका उपयोग महत्वपूर्ण है।  इसका इस्तेमाल इसलिए होता है ताकि अगर delivery न हो सके तो यह automatically packets को discard कर देगा।     

IPv4 खत्म क्यों हो सकता है?

IPv4 में IP addresses के लिए कुल 32 बिट्स का उपयोग होता है। ये लगभग 4.20 बिलियन ही IP address generate कर सकता है। हालांकि, देखने में भले ही ये संख्या बहुत बड़ी लगता हो, लेकिन इंटरनेट users की संख्या में जिस तेज़ी से लगातार वृद्धि हो रही है उससे ये संख्या भी कुछ सालो बाद कम पड़ जाएगा और आख़िर में कोई unique IP address नहीं बचेगा। इस समस्या को दूर करने के लिए IPv6 विकसित किया गया। इसे next generation इंटरनेट standard भी कहा जाता है। IPv6 में 128 बिट्स का उपयोग होता है।

IPv4 और IPv6 में क्या अंतर है? (Difference Between IPv4 and IPv6 In Hindi)

                      IPv4                            IPv6
IPv4 में 32 बिट्स एड्रेस length होता है।IPv6 में 128 bits address length होता है।
यह manual और DHCP address configuration को सपोर्ट करता है।इसमें Auto और numbering address configuration support होता है।
IPv4 में addresses को Decimal से represent किया जाता है।IPv6 में सभी IP addresses Hexadecimal के रूप में होता है।
IPv4 में 4 fields होते है जिन्हें Dots (.) के जरिए separate यानी अलग किया जाता है।इसमें 8 fields है जिसे colon (:) द्वारा separate किया गया है।
IPv4 में IP addresses को पांच अलग classes में divide किया गया है : Class A, Class B, Class C, Class D और Class E इसे किसी भी classes में divide नहीं किया गया है।
यह VLSM (Variable Length Subnet Mask) को सपोर्ट करता है।ये VLSM को support नहीं करता है।
IPv4 का उदाहरण – 54.69.78.13 IPv6 का उदाहरण – 1952:0000:8928:DEF1:0681:0000:0000:FEBB

Summary

  • IP का मतलब इंटेरनेट प्रोटोकॉल है इसका उपयोग इंटरनेट में विभिन्न उपकरणों के बिच डेटा या इनफार्मेशन के आदान प्रदान को सुगम बनाने के लिए किया जाता है। 
  • आज इंटरनेट में जितने भी devices मौजूद है, उन सभी devices को एक IP Address प्रदान किया गया है ताकि उन devices को नेटवर्क में uniquely identify किया जा सके।
  • वर्तमान समय में IP Address के दो वर्जन है, पहला IPv4 और दूसरा IPv6 ।
  • IPv4 एक कनेक्शन लेस प्रोटोकॉल है जिसका इस्तेमाल packet-switched layer network (जैसे की Ethernet) में होता है। 
  • आजकल ज्यादातर devices में IPv4 का इस्तेमाल होता है, जिनमें स्मार्टफोन, कंप्यूटर, इत्यादि शामिल है।
  • स्मार्टफोन, कंप्यूटर, इत्यादि सभी को इंटरनेट से जुड़ने के लिए एक unique IP address की जरूरत पड़ती है.
  • चूँकि IPv4 में IP Address generate करने की एक सीमा होती है इसलिए IPv6 का निर्माण किया गया जिसमे IPv4 की तुलना में कई गुना IP Addresses प्रदान करने की क्षमता होती है।

Read More -:

निष्कर्ष

दोस्तों आज के इस आर्टिल्स में हमने IPv4 के बारे में बात की और जाना कि IPv4 क्या है? (What is IPv4 In Hindi) IPv4 के क्या फायदे व क्या नुकशान है? और IPv4 और IPv6 में क्या अंतर है? (Difference Between IPv4 and IPv6 In Hindi)

तो दोस्तों आशा करता हूँ कि आपको ये आर्टिकल पसंद आया होगा और यदि ये आर्टिकल आपको पसंद आया है तो इस आर्टिकल को अपने दोस्तों को शेयर करना न भूलिएगा ताकि उनको भी IPv4 Kya Hai के बारे में जानकारी प्राप्त हो सके .

अगर आप कंप्यूटर नेटवर्क के हिंदी नोट्स चाहते है तो मेरे इस आर्टिकल Computer Network Notes In Hindi को देखे | यहाँ आपको कंप्यूटर नेटवर्क के सभी टॉपिक्स step by step मिल जाएगी |

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