OSI Model क्या है? – OSI Model In Hindi

कंप्यूटर नेटवर्क में डेटा एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में कैसे ट्रांसफर होगा? इसके लिए हम दो नेटवर्किंग मॉडल का उपयोग करते है, पहला OSI Model और दूसरा TCP/IP Model

TCP/IP Model के बारे में हमने अपने पिछले आर्टिकल में बात की थी। आज के इस आर्टिकल में हम OSI Model के बारे में बात करने वाले है। 

तो आइये बिना समय गवाए जानते है कि OSI Model Kya Hai? OSI Model में कितने लेयर होते है? और ये कैसे कार्य करता है?

OSI Model क्या है? - OSI Model In Hindi

OSI Model क्या है? – What is OSI Model In Hindi

OSI मॉडल एक जनरल पर्पस नेटवर्किंग मॉडल है जिसको 1984 में ISO द्वारा develop किया गया था। 

यह मॉडल बताता है कि एक कंप्यूटर से जानकारी को दूसरे कंप्यूटर तक कैसे भेजा जाता है। यह बताता है कि दो डिवाइस आपस में कैसे डेटा को सेंड और रिसीव कर सकते है। 

यह एक architectural model या रिफरेन्स मॉडल के रूप में उपयोग किया जाता है। यह एक लॉजिकल और conceptual मॉडल है जिसका उपयोग करके नेटवर्किंग की कार्यप्रणाली को आसानी से समझाया जा सकता है।

OSI मॉडल चूँकि कही भी फिट हो सकता है इसलिए इसे “ओपन सोर्स” कहा जाता है। 

इस मॉडल में 7 लेयर होते है और सभी लेयर का अपना अलग कार्य होता है। ये 7 लेयर सुनिश्चित करते है कि डेटा एक नेटवर्किंग डिवाइस से दुसरे नेटवर्किंग डिवाइस तक सुरक्षित रूप से पहुंच सके। . 

ये लेयर एक दुसरे पर निर्भर नहीं होते, लेकिन एक layer से दुसरे layer में डेटा का ट्रांसमिशन होता है। 

OSI Model के ऊपर के तीन लेयर को upper layer कहते है जो एप्लीकेशन लेवल के कार्यो को हैंडल करती है और निचे के चार लेयर को lower layer कहा जाता है जो devices के बीच डेटा के end-to-end ट्रांसपोर्ट को कण्ट्रोल करती है। 

Summary  

  • OSI का अर्थ “Open System Interconnection” है और इस मॉडल का नाम यह नाम “ISO” द्वारा दिया गया था। 
  • यह एक reference मॉडल है जिसमे 7 Layers होते हैं। 
  • यह वर्ष 1984 में ISO द्वारा Develop किया गया था। 
  • यह एक 7-layer architecture है। 
  • यह प्रोटोकॉल के उपयोग के बिना चलता है। 
  • OSI Model द्वारा नेटवर्क में computers और devices के बिच डेटा ट्रांसमिशन के समय होने वाले फंक्शन को 7-layer में डिफाइन किया गया है। इसलिए इसे “7-layer architecture model” भी कहा जाता है।
  • OSI, एक स्टैण्डर्ड मॉडल है जो नेटवर्क डिवाइसों को बनाने वाले विभिन्न निर्माता कपिनियो द्वारा अपने प्रोडक्ट को बनाते समय Reference Model के रूप उपयोग किया जाता है जिससे की दो अलग कंपनियों के नेटवर्किंग डिवाइस आपस में communicate कर सके। 
  • इस मॉडल का उपयोग Real Life में नहीं होता, इसका उपयोग केवल reference के रूप में किया जाता है। Real Life में OSI मॉडल की जगह TCP/IP Model उपयोग किया जाता है। 

OSI Model के सात लेयर्स – 7 Layers of OSI Model In Hindi

1) फिजिकल लेयर (Physical Layer)

Physical Layer, OSI मॉडल का सबसे पहला और लोवेस्ट लेयर है। इस लेयर में digital signal को electrical signal में बदला जाता है।

इस लेयर का मुख्य कार्य data को bits (0 और 1) के रूप में transmit करना है इसलिये इस लेयर को Bit Unit भी कहा जाता है। 

यह लेयर नेटवर्क में फिजिकल कन्सेशन को स्थापित करने व मेन्टेन करने का कार्य करती है। यह लेयर बताता है कि दो डिवाइस के बिच कम्युनिकेशन वायरलेस होगा या वायर्ड। 

Physical Layer के कार्य

फिजिकल लेयर विभिन्न कार्यो के लिए जिम्मेदार होता है जो कि निम्नलिखित है -:

  • फिजिकल लेयर डेटा को bit के रूप में रिप्रेजेंट और ट्रांसमिट करता है। 
  • फिजिकल लेयर, डेटा को transmit करने वाले signal को निर्धारित करता है। 
  • यह network topology के कार्य को पूरा करता है.
  • Physical layer बिट्स का synchronization प्रदान करता है। 
  • Physical Layer बताता है कि 1 second में कितना बिट डेटा ट्रान्सफर होगा।
  • यह बताता है कि दो या दो से अधिक डिवाइस एक दूसरे से कैसे कनेक्ट होंगे। 
  • यह बताता है कि कन्सेशन वायर्ड होगा या वायरलेस। 
  • यह लेयर Define करती है नेटवर्क में किस प्रकार दो उपकरणों के बीच डेटा ट्रान्सफर होता है। 

2) डेटा लिंक लेयर (Data link layer)

यह OSI मॉडल में दूसरे नंबर की लेयर है जो नेटवर्क में डाटा को फ्रेम के रूप में ट्रांसमिट करने का कार्य करती है। 

चूँकि यह डेटा को फ्रेम के रूप में ट्रांसमिट करती है इसलिए इस लेयर को frame unit भी कहा जाता है। 

इस लेयर में नेटवर्क लेयर द्वारा भेजे गए डेटा के पैकेटों को डिकोड और एनकोड किया जाता है।  

डेटा लिंक लेयर सुनिश्चित करता है कि data packets में कोई error ना हो। इसमें Node-to-Node Delivery होती है। 

डेटा लिंक लेयर में दो sub-layers होती है पहला MAC (Media Access Control) और दूसरा LLC (Logic Link Control)

इस लेयर में HDLC (High-Level Data Link Control) और PPP (Point-to-Point Protocol) का उपयोग डेटा ट्रांसमिशन के लिए किया जाता है.

Data Link Layer के कार्य 

  • डेटा लिंक लेयर, Network layer से प्राप्त डेटा पैकेट्स को encodes और decodes करती है और इन डेटा पैकेट्स को frames कहा जाता है। 
  • डेटा लिंक लेयर इन frames में हैडर और ट्रेलर को जोड़ने का कार्य करती है। 
  • इस लेयर का कार्य flow control करना है. इसमें रिसीवर और सेन्डर दोनों तरफ से एक निश्चित डेटा रेट को मेन्टेन किया जाता है. जिससे कि डेटा corrupt ना हो सके। 
  • यह लेयर error control करने का भी कार्य करती है । इसमें frame के trailer के साथ CRC (cyclic redundancy check) को जोड़ा जाता है जिससे डेटा में कोई एरर ना आये.
  • यह लेयर access control का भी कार्य करता है यह निर्धारित करता है कि किस Device को एक्सेस दिया जाए.जब दो या दो से अधिक Device एक कम्युनिकेशन चैनल से जुडी रहती है। 

3) नेटवर्क लेयर (Network layer)

यह OSI model का तीसरा लेयर है जिसका कार्य नेटवर्किंग डिवाइसों को IP address प्रदान करना है। 

इस लेयर में स्विचिंग तथा Rourting techniques का उपयोग डेटा पैकेटों को एक डिवाइस से दुसरे डिवाइस तक पहुँचाने के लिए किया जाता है। 

इस लेयर में डेटा जो है वह packets के रूप में होता है इसलिए इस लेयर को packet unit भी कहा जाता है। 

नेटवर्क लेयर, डेटा पैकेटों को एक डिवाइस से दुसरे डिवाइस तक पहुँचाने का कार्य करता है। यह लेयर रूटिंग , फॉरवार्डिंग के साथ – साथ एड्रेसिंग, इंटरनेटवर्किंग, एरर हैंडलिंग, Congestion Control का कार्य भी करती है ।

Network layer के कार्य

  • इसका कार्य डिवाइसों को IP Address प्रदान करना है। 
  • नेटवर्क लेयर data packets के हैडर में source और destination के IP address को जोड़ती है. जिसका उपयोग इन्टरनेट में network devices को uniquely identify करने के लिए किया जाता है। 
  • यह data packets को सोर्स से डेस्टिनेशन तक पहुंचने का कार्य करता है। 
  • यह switching और routing द्वारा सबसे अच्छे और उपयुक्त रास्ते का निर्धारण करती है। 

4) ट्रांसपोर्ट लेयर (Transport layer) 

यह OSI मॉडल की चौथी लेयर है। इस लेयर का कार्य यह सुनिश्चित करना है कि डेटा को जिस क्रम में सेन्डर द्वारा भेजा गया है वह उसी क्रम में रिसीवर द्वारा प्राप्त किया जाये और डेटा में कोई एरर न हो। यदि डेटा में कोई error पाया जाता है तो यह डेटा को पुनः ट्रांसमिट करता है। 

इस लेयर के दो मुख्य प्रोटोकॉल्स हैं पहला TCP (Transmission Control Protocol) और दूसरा UDP (User Datagram Protocol) . 

इस लेयर का उपयोग data को networks के बीच सही तरीके से transfer करने के लिए किया जाता है। 

ट्रांसपोर्ट लेयर, session layer से data लेता हैं। यह network में End-to-End मैसेज डिलीवरी को भी मैनेज करता हैं।

Transport Layer के कार्य

  • Transport Layer,  flow control और error control दोनों ही प्रकार के कामो को करता है।
  • इसका कार्य डेटा को एक सोर्स डिवाइस से डेस्टिनेशन डिवाइस तक पहुंचाना है।
  • यह दो devices के बीच communication की सुविधा प्रदान करता है। 
  • यह point to point कनेक्शन की सुविधा प्रदान करता है। 
  • यह कनेक्शन को कण्ट्रोल करने का भी कार्य करती है। 

5) सेशन लेयर (Session layer)

यह OSI model की पांचवी लेयर है जो दो डिवाइसों के बीच communication के लिए एक Session का निर्माण करता है।

Session layer का मुख्य कार्य डिवाइसों के बिच में होने वाले connection को control करना है। 

Session layer, सेन्डर और रिसीवर के मधय कनेक्शन को Establish, Maintain और टर्मिनेट करती हैं, साथ ही यह dialog control और synchronization का भी कार्य करती है। 

यह विभिन्न कंप्यूटरों के बीच होने वाले communication को control करती है. 

Session Layer के कार्य

  • Session Layer का कार्य दो डिवाइसों के बीच session को Establish करना, Maintain करना, और terminate करना है। 
  • यह dialog controller की तरह भी कार्य करता है. यह दो प्रोसेसेज के बिच dialog को create करता है। 
  • यह synchronization का भी कार्य करती है. अर्थात् जब कभी ट्रांसमिशन में कोई error आती है तो यह transmission को दुबारा करता है। 

6) प्रेजेंटेशन लेयर (Presentation layer )

यह OSI मॉडल का छटवां लेयर है जिसका कार्य डाटा के फॉर्मेट को नियंत्रण करना है।

इस लेयर में डेटा को encode तथा decode किया जाता है साथ ही डेटा को encrypt व decrypt भी किया जाता है।

Presentation layer, डेटा के syntax को सही से मेन्टेन करके रखता है इसलिए इसे syntax layer भी कहा जाता हैं। 

प्रेजेंटेशन लेयर, ऑपरेटिंग सिस्टम से सम्बंधित है और इसका उपयोग डेटा के compression के लिए भी किया जाता है। 

यह लेयर निर्धारित करता है कि डेटा को कैसे प्रेजेंट कराना है। इस लेयर में IMAP, SSL और SSH  प्रोटोकॉल कार्य करते है। 

Presentation layer के कार्य 

  • Presentation Layer में डेटा को सिक्योर रखने के लिए encryption और decryption का कार्य किया जाता है। 
  • इस लेयर में डेटा के साइज को कम करने के लिए compression का भी कार्य किया जाता है। 
  • compression के साथ साथ यह Translation का भी कार्य करता है। 

7) एप्लीकेशन लेयर (Application layer)

यह OSI model का सातवाँ लेयर है जिसका कार्य रियल एप्लीकेशन तथा अन्य लयरों के बिच इंटरफ़ेस प्रदान कराना है।

यह end user के काफी नजदीक होता है, और यह end users को Network Services प्रदान करता है। 

Application layer के अंतर्गत HTTP, FTP, SMTP तथा NFS जैसे Protocols आते है। 

Application layer नियंत्रित करता है कि कोई भी Application किस तरह network access करता है। यह नेटवर्क सर्विसेज और एप्लीकेशन के बिच में interface का कार्य करता है।

Application Layer के कार्य –

  • एप्लीकेशन लेयर द्वारा यूजर रिमोटली कंप्यूटर से फाइल्स को access कर सकता है।
  • इसके द्दारा ईमेल को Forword और Store किया जा सकता है। 
  • साथ ही database से directory को भी access किया जा सकता है। 

OSI माॅडल की विशेषताएं – Features of OSI Model In Hindi

OSI माॅडल की निम्नलिखित विशेषताएं -:

  • OSI मॉडल एक जनरल पर्पस नेटवर्किंग मॉडल है जो की एक Reference Model के रूप में कार्य करता है इसका व्यवहारिक रूप से कोई उपयोग नहीं है। 
  • एक लेयर में होने वाली प्रॉब्लम का प्रभाव दूसरे लेयर पर नहीं पड़ता। 
  • यह एक Flexible मॉडल है जो connection oriented और connection less दोनों ही तरह की services प्रदान करता है। 
  • यह एक स्टैण्डर्ड मॉडल के रूप में उपयोग किया जाता है। 
  • इसके द्दारा नेटवर्क में दो devices के बिच के कम्युनिकेशन को आसानी से समझा जा सकता है। 
  • इसमें 7 Layers होते है और सभी लेयर का अपना अपना काम होता है। 

OSI Model के लाभ – Advantage of OSI model in Hindi 

OSI model के निम्नलिखित लाभ है -:

  • OSI model एक generic model है जिसका उपयोग standard model के रूप में एक रिफरेन्स के लिए किया जाता है। 
  • यह एक flexible मॉडल है क्योकि इसमें हम किसी भी प्रोटोकॉल का उपयोग कर सकते है।
  • इसे आसानी से administrate और maintain किया जा सकता है। 
  • यह एक सिक्योर नेटवर्किंग मॉडल है। 

OSI Model की कमियां – Disadvantages of OSI model in Hindi

OSI model में निम्नलिखित कमिया है -:

  • OSI model किसी स्पेसिफिक protocol को डिफाइन नहीं करता। 
  • इसमें नए प्रोटोकॉल को implement करना मुश्किल है।
  • यह एक काम्प्लेक्स मॉडल है जिसका Initial Implementation बहुत धीमा और महंगा है। 
  • इसमें सभी लेयर्स एक दूसरे के साथ आंतरिक रूप से  डिपेंडेंट होती है। 
  • OSI model एक Refrence model है जिसका वास्तव में को उपयोग नहीं है। 

OSI Model और TCP/IP Model में क्या अंतर है? (Difference Between OSI Model and TCP/IP Model In Hindi)

OSI Model और TCP/IP Model के बीच निम्नलिखित अंतर हैं -:

OSI ModelTCP/IP Model
OSI का फुल फॉर्म “Open Systems Interconnection” है।TCP/IP का फुल फॉर्म  Transmission Control Protocol/Internet Protocol है।
OSI हेडर का साइज 5 बाइट्स होता है।TCP/IP हेडर का आकार 20 बाइट्स का होता है।
 OSI Model में 7 लेयर्स होते हैं। TCP/IP में 4 लेयर्स होते हैं।
OSI Model, vertical approach को फॉलो करता है।TCP/IP Model, horizontal approach को फॉलो करता है।
OSI मॉडल ISO द्वारा विकसित किया गया है।TCP मॉडल ARPANET द्वारा विकसित किया गया है।
OSI मॉडल में, ट्रांसपोर्ट लेयर केवल connection-oriented है। TCP/IP model में, ट्रांसपोर्ट लेयर connection-oriented और connectionless दोनों है।
OSI मॉडल में, डेटा लिंक लेयर और फिजिकल लेयर दोनों अलग-अलग लेयर हैं। TCP/IP model में, फिजिकल लेयर और डेटा लिंक लेयर दोनों को नेटवर्क लेयर के रूप में combined किया जाता है।
Session layer और presentation layer दोनों OSI मॉडल का एक हिस्सा हैं। TCP/IP model में कोई Session layer और presentation layer नहीं है।
OSI मॉडल में, ट्रांसपोर्ट लेयर पैकेट्स की डिलीवरी के लिए गारंटी प्रदान करता है। TCP/IP model में ट्रांसपोर्ट लेयर पैकेट्स की डिलीवरी के लिए गारंटी प्रदान नहीं करता।
OSI मॉडल में प्रोटोकॉल तकनीक में बदलाव होने पर आसानी से बदला जा सकता है। TCP/IP model में, प्रोटोकॉल को आसानी से बदला नहीं जा सकता।
OSI मॉडल का उपयोग बहुत कम है। TCP/IP model का अत्यधिक उपयोग किया जाता है।

FAQs – Frequently Asked Questions 

Q1. OSI Model का फुल फॉर्म क्या है?

Ans -: OSI Model का फुल फॉर्म “Open System Interconnection Model है। 

Q2. Computer Network Models क्या है?

Ans -: कंप्यूटर नेटवर्क में दो या दो से अधिक यूजर आपस में डेटा आसानी से साझा कर सके इसके लिए एक systematic approach की आवश्यकता थी। इस approach को कंप्यूटर नेटवर्क में मॉडल का उपयोग करके कार्यान्वित किया जाता है और इसे ही कंप्यूटर नेटवर्क मॉडल के रूप में जाना जाता है। कंप्यूटर नेटवर्क मॉडल, सेन्डर और रिसीवर के बीच connection स्थापित करने और डेटा को सुचारू रूप से transmit करने के लिए जिम्मेदार होते हैं।

Read More

Conclusion

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमनें OSI Model के बारे में बात की और जाना कि OSI Model क्या है? (What is OSI Model In Hindi) OSI Model में कितने लेयर होते है? और ये कैसे कार्य करता है?

अगर आप कंप्यूटर नेटवर्क के हिंदी नोट्स चाहते है तो मेरे इस आर्टिकल Computer Network Notes In Hindi को देखे | यहाँ आपको कंप्यूटर नेटवर्क के सभी टॉपिक्स step by step मिल जाएगी

अगर आपको ये पोस्ट पसंद आया है तो इस पोस्ट को अपने अपने दोस्तों को शेयर करना न भूलिएगा ताकि उनको भी OSI Model Kya Hai के बारे में जानकारी प्राप्त हो सके .

अगर आपको अभी भी OSI Model In Hindi से संबंधित कोई भी प्रश्न या Doubt है तो आप कमेंट्स के जरिए हमसे पुछ सकते है। मैं आपके सभी सवालों का जवाब दूँगा और ज्यादा जानकारी के लिए आप हमसे संपर्क कर सकते है |

ऐसे ही नया टेक्नोलॉजी, Computer Science से रिलेटेड जानकारियाँ पाने के लिए हमारे इस वेबसाइट को सब्सक्राइब कर दीजिए | जिससे हमारी आने वाली नई पोस्ट की सूचनाएं जल्दी प्राप्त होगी |

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *